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शुद्ध पहाड़ी
शुद्ध पहाड़ी
पहाड़ तू पहाड़ मैं…
गूंज तू दहाड़ मैं…
टेढ़ी-मेढ़ी राह में
कभी अटक कभी भटक
चल रहे सरक सरक
कभी हंसें कभी सिसक
मिटाने को तेरा मिथक
रहें अडिग रहें अथक
सूर्य का प्रताप तू
वटवृक्ष की हूॅं आड़ मैं
आर तू है पार तू
तो तेरे आर पार मैं
पहाड़ तू पहाड़ मैं…
गूूंज तू दहाड़ मैं…
- डाॅ नवीन कण्डवाल
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